पश्चिमी घाटः एक विश्व परम्परा स्थल ( Western Ghats A World Heritage Site )

 रूस में 1 जुलाई , 1012 को सेंट पीटर्सबर्ग में हुई विश्व परम्परा समिति ( World Heritage Committee ) की बैठक में पश्चिमी घाट को यूनेस्को विश्व परम्परा सूची ( UNESCO World Heritage List ) में शामिल कर लिया गया है ।

 पश्चिमी घाट " स्थलीय , ताजे जल , तटीय एवं समुद्री परिस्थितिक प्रणालियों तथा वनस्पति और पशुओं के समुदायों की उत्पत्ति तथा विकास में निरन्तर चल रही पारिस्थितिक व जैविक प्रक्रियाओं का एक विशिष्ट उदाहरण है । " यह विज्ञान एवं संरक्षण की दृष्टि से विशिष्ट सार्वभौमिक महत्व वाली संकटग्रस्त प्रजातियों सहित जैविक विभिन्नताओं के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण प्राकृतिक निवास - स्थल भी है । विश्व परम्परा स्थल होने के अतिरिक्त यह विश्व के आठ सर्वाधिक लोकप्रिय विभिन्नता वाले स्थलों में से एक है ।

 पश्चिमी घाट या सहयाद्रि प्रायद्वीपीय भारत के पश्चिमी पश्चिमी घाट , गुजरात में तापी नदी के दक्षिण से शुरू तट के साथ - साथ फैली पर्वतमाला है । यह दक्षिण पठार को होते हैं और महाराष्ट्र , गोवा , कर्नाटक , तमिलनाडु और केरल अरब सागर के साथ - साथ तंग तटीय मैदान से अलग करती राज्यों में लगभग 1600 किमी . तक गुजरते हुए भारत के है दक्षिणी छोर पर कन्याकुमारी पर समाप्त होते हैं । 

पश्चिमी घाट की पहाड़ियों की प्रमुख चोटिया है :

अनईमुडी ( Anaimudi ) ( 2695 मी . ), डोडा बेटा ( Doddabetta ) ( 2636 मी . ) मुकर्ती ( Mukurthi ) ( 2554 मी . ) कोडईकोनाल ( Kodaikanal ) ( 2133 मी . ) , बाबाबूदन गिरि ( Bababudangiri ) ( 1712 मी . ) , कुद्रेमुख ( Kudremukh ) ( 1894 मी . ) , अगस्थामलाय ( Agasthymalai ) ( 1866 मी . ) , पुष्पगिरी ( Pushpagiri ) ( 1712 मी . ) , कल्सुबाई ( Kalsubai ) ( 1646 मी . ) तथा सल्हेर ( Salher ) ( 1567 मी . ) । महत्वपूर्ण पहाड़ी स्थल ऊटी ( Ooty ) ( 2500 मी . ) तथा कोडईकनाल ( Kodaikanal ) ( 2285 मी . ) भी पश्चिमी घाट में ही स्थित है । इस क्षेत्र में फूलों के पौधों की 5000 किस्में है 139 स्तनधारी पशुओं , 508 पक्षियों तथा 179 उभयचरों ( Amphibian ) की प्रजातियां हैं । एक अनुमान के अनुसार , 325 प्रजातिया पश्चिमी घाट में ऐसी हैं जो वैश्विक स्तर पर संकट - ग्रस्त हैं ।

पश्चिमी घाट में उष्णकटिबंधीय व अर्द्ध - उष्णकटिबंधीय वन फैले हैं जो वहां की मूल जनजाति के लोगों को भोजन व प्राकृतिक आवास प्रदान करते हैं । यह क्षेत्र विकास के लिए पारिस्थितकीय दृष्टि से संवेदनशील हैं । भारत सरकार ने अनेक संरक्षित क्षेत्र बनाए हैं जिनमें 2 जीव - मण्डल अभ्यारण्य , 13 राष्ट्रीय उद्यान तथा विशिष्ट संकटग्रस्त प्रजातियों को बचाने के लिए अनेक वन्य जीवन अभ्यारण्य शामिल हैं । नागर होले के सदाबहार वनों में नीलगिरि जैविक अभ्यारण्य ( 5500 वर्ग किमी . ) , पतझड़ी वनों से भरा बांदीपुर - राष्ट्रीय उद्यान , केरल तथा तमिलनाडु में स्थित मुदुमलई राष्ट्रीय उद्यान एवं मुकुर्ती राष्ट्रीय पार्क अन्य महत्वपूर्ण संरक्षित स्थान हैं । संसाधनों के विवेकपूर्ण उपयोग एवं संरक्षण व्यवहारों से इस महत्वपूर्ण विश्व परम्परा स्थल ( Heritage Site ) की पारिस्थितिक प्रणाली की समुत्थानशील विशेषताओं में सुधार किया जा सकता है ।

 

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